अमावस्या की तिथि बहुत मायने रखती है हिन्दू में । हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष का यह अंतिम दिन माना जाता है। अमावस्या की रात्रि को चंद्रमा घटते-घटते (कम-कम )होते होते बिल्कुल लुप्त हो जाता है। धार्मिक रूप से तो अमावस्या और भी खास होती है। स्नान दान के लिये तो यह बहुत ही सौभाग्यशाली तिथि मानी जाती है विशेषकर पितरों की आत्मा की शांति के लिये हवन-पूजा, श्राद्ध, तर्पण आदि करने के लिये तो अमावस्या श्रेष्ठ तिथि माना जाता है। तो अब आइये जानते हैं सावन अमावस्या व इसके महत्व के बारे में।
श्रावण मास वर्षा ऋतु का माह होता है। इस माह में मौसम का नज़ारा इतना मनोरम होता है कि बादलों की घटा में प्रकृति की छटा भी बिखरी हुई नज़र आती है। हर ओर हरियाली छाने लगती है। पेड़ पौधे बारिश की बूंदों में धुलकर एकदम तरोताज़ा हो जाते हैं। पक्षी चहकने लगते हैं तो मन भी बहकने लगते हैं। इसीलिये सावन मास की अमावस्या बहुत खास मानी जाती है। श्रावणी अमावस्या से पहले दिन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। सावन शिवरात्रि से अगला दिन श्रावणी अमावस्या का होता है। गर्मी से झुलसते पेड़ों को सावन की रूत नया जीवनदान देती है और हर ओर हरियाली छा जाती है। इस अमावस्या के तीन दिन बाद ही त्यौहारों का बीजारोपण करने वाला पर्व हरियाली तीज आता है इसलिये यह अमावस्या हरियाली अमावस्या भी कही जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 2021 में हरियाली अमावस्या 08 अगस्त को रविवार के दिन है।
इस अमावस्या पर पेड़-पौधों को नया जीवन प्रदान होता है और पेड़-पौधों से मनुष्य का जीवन सुरक्षित होता है इस कारण वृक्षों की पूजा का हरियाणा अमावस्या पर खास महत्व होता है।